“सोरायसिस में क्या खाएं और किन चीजों से बचें? जानिए आयुर्वेदिक आहार, दिनचर्या और घरेलू उपाय जो देंगे आपको राहत।”
आयुर्वेद की बस यह 5-5 चीजें ध्यान रखे –
5 आहार जिनसे पूरी तरह बचना चाहिए (Psoriasis Triggers):
🍰 मीठा और पैकेट बंद प्रोडक्ट (कृत्रिम मिठाइयाँ,बिस्किट चिप्स आदि केक)
– रोग प्रतिरोधकता घटाता है।
🍤 मछली + दूध / मांस + दूध या अन्य विरुद्ध आहार
– यह त्वचा रोगों के मुख्य कारण माने जाते हैं।
🍕 फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड (पिज़्ज़ा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स)
– शरीर में विषैले तत्व बढ़ाते हैं।
🍋 खट्टा दही, टमाटर, नींबू जैसे अम्लीय चीज़ें
– स्किन को एलर्जी ट्रिगर कर सकते हैं।
5 आहार जो रोज़ खाने चाहिए (Psoriasis-Friendly Foods):
🍀 नीम की कोमल पत्तियाँ या नीम का रस (सुबह खाली पेट)
– रक्त शुद्ध करने में सहायक।
🧄 हल्दी वाला गर्म पानी या दूध (रात को)
– एंटीइंफ्लेमेटरी और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला।
🍇 फल: पपीता, सेब, अनार, मौसमी फल
– पाचन सही रखने और शरीर को विटामिन देने के लिए।
🥬 हरी सब्ज़ियाँ: लौकी, तोरी, सहजन, पालक (हल्की सब्ज़ियाँ)
– त्वचा के लिए पोषक तत्व।
🧂 जीरा-सौंफ वाला गुनगुना पानी (दिन में 2-3 बार)
– पाचन और सूजन कम करने में सहायक।
5 आदतें जो Psoriasis मरीज़ को अपनानी चाहिए:

⏰ नियत समय पर सोना और जागना (7–8 घंटे की नींद)
– शरीर की मरम्मत और रोग नियंत्रण के लिए जरूरी है।
😌 तनावमुक्त रहना (Meditation और Nature Walk)
– Psoriasis एक psychosomatic रोग भी है।
💧 दिनभर में 2.5–3 लीटर पानी जरूर पिएं
– त्वचा को डिटॉक्स करने के लिए।
👕 सॉफ्ट कॉटन कपड़े पहनें
– त्वचा से रगड़ कम होगी और इरिटेशन नहीं होगा।
🧼 त्वचा को बार-बार न खुजलाएं, न नोचें
– इससे इन्फेक्शन और घाव बढ़ सकता है।
5 कार्य जो रोज़ करने चाहिए सोरायसिस मरीज़ को:
🧘♂️ प्राणायाम और ध्यान (15–30 मिनट)
– तनाव Psoriasis को बढ़ाता है। रोज़ अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, और ध्यान करना फायदेमंद है।
🚿 गुनगुने पानी से स्नान + त्रिफला या नीम जल मिलाकर
– त्वचा को साफ़ और शांत रखने के लिए।
💆♂️ सरसों या नारियल तेल से हल्की मालिश (अभ्यंगम)
– त्वचा को मॉइश्चराइज और वात-कफ दोष संतुलन में रखने के लिए।
🧴 हर्बल मॉइश्चराइज़र या नारियल तेल का प्रयोग दिन में 2 बार
– त्वचा को ड्राई और फटने से बचाने के लिए।
🍵 रात को त्रिफला चूर्ण गर्म पानी के साथ
– पाचन और रक्तशुद्धि में मदद करता है।
अत्यधिक डेयरी प्रोडक्ट्स (खासकर पनीर और घी)
– कफ बढ़ाने वाले होते हैं।
आयुर्वेद को फॉलो करने या इलाज से पहले आपको अपने शरीर सम्बंधित खुद से कुछ आकलन करना होगा जैसे मेरी प्रकृति क्या है ? नीचे दिए गए कुछ लक्षण से समझे आपकी प्रकृति क्या है
वात दोष (Vata Dosha)
पित्त दोष (Pitta Dosha)
कफ दोष (Kapha Dosha)
अगर किसी में तीनों दोषों के लक्षण मिलते हैं, जो की आज के खानपान और लाइफस्टइल में आम समस्या है —–
विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करके पढ़े इसे “त्रिदोषज विकार” कहते हैं। इसमें सब दोष थोड़े-थोड़े बढ़ गए हैं
अब करना क्या चाहिए?
1. सबसे पहले पहचानें: कौन-सा दोष सबसे ज़्यादा बढ़ा है
लक्षणों को गौर से देखें — कौन से ज़्यादा प्रभावी हैं?
जैसे:
कब्ज़ और बेचैनी = वात प्रमुख
जलन और मुंह में अम्लता = पित्त प्रमुख
सुस्ती और बलगम = कफ प्रमुख
जिस दोष के लक्षण सबसे तीव्र हैं, सबसे पहले उसका संतुलन करें।
2. त्रिदोष संतुलन के लिए जीवनशैली अपनाएं:
आहार:- सादा, हल्का, ताजा और पचने में आसान खाना लें।
बहुत तला, खट्टा, मसालेदार, और भारी भोजन से बचें।
त्रिफला चूर्ण, नीम, हल्दी जैसे त्रिदोषहर (तीनों दोषों को संतुलित करने वाले) उपाय अपनाएं।
🧘 दिनचर्या:
सोने और खाने का नियमित समय रखें।
योग, ध्यान और प्राणायाम (विशेषकर अनुलोम-विलोम) करें।
तेज धूप, ठंडा मौसम, भारी व्यायाम, और तनाव से बचें।
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*दिए गए उपाय,परहेज एवं औसधि लेने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले, गर्भवती महिलाएँ एवं अन्य शारीरिक समस्याओं ग्रसित लोग खास ध्यान रखे *
अनुज यादव DainikBaate.com के संस्थापक हैं। वे न्यूज, टेक, ऑटो, हेल्थ और शेयर मार्केट पर सरल हिंदी में विश्वसनीय जानकारी साझा करते हैं।
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