भगवान जगन्नाथ की दिव्य रथयात्रा
भगवान जगन्नाथ कौन हैं?
“जगन्नाथ” का अर्थ होता है – संपूर्ण विश्व के स्वामी।
भगवान जगन्नाथ को श्रीकृष्ण का एक रूप माना जाता है। पुरी के मंदिर में उनके साथ बलभद्र और सुभद्रा की लकड़ी की मूर्तियाँ होती हैं, जो हर 12 साल में बदली जाती हैं। इस प्रक्रिया को नवकलेवर कहा जाता है।
रथयात्रा क्या है?
रथयात्रा एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान की मूर्तियों को मंदिर से बाहर निकालकर भव्य लकड़ी के रथों में नगर भ्रमण कराया जाता है। पुरी की रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को तीन विशाल रथों में बैठाकर गुंडीचा मंदिर तक ले जाया जाता है।
“Darshan sabke liye hai” — यही रथयात्रा का सार है।
जो लोग मंदिर के अंदर नहीं जा सकते, वे भी इस दिन भगवान के दर्शन कर पाते हैं।
पुरी से शुरू होकर विश्व तक पहुंची एक आस्था की यात्रा
हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि (जून-जुलाई) को ओडिशा के पुरी शहर में एक अद्भुत और दिव्य आयोजन होता है — रथयात्रा। यह कोई साधारण त्योहार नहीं, बल्कि एक विशाल सांस्कृतिक आयोजन है जो भक्तों की आस्था, परंपरा और सामाजिक समरसता का प्रतीक है।
विश्व में रथयात्रा
1968 में ISKCON (हरे कृष्णा आंदोलन) ने रथयात्रा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी। आज यह उत्सव 100+ शहरों में मनाया जाता है, जैसे:
न्यूयॉर्क, लंदन, टोरंटो, सिडनी, दुबई, मस्कट, पेरिस, मनीला आदि।
यह आयोजन सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और वैश्विक भाईचारे का प्रतीक बन गया है।
रथ कैसे होते हैं?
तीनों रथों के नाम हैं:
- नंदीघोष (भगवान जगन्नाथ का रथ)
- तालध्वज (बलभद्र का रथ)
- दर्पदलन (सुभद्रा का रथ)
इन रथों को भारी और मजबूत लकड़ी से हाथ से बनाया जाता है। रथ खींचना एक पुण्य माना जाता है, और लाखों भक्त इसमें भाग लेते हैं।
रथयात्रा कहां–कहां मनाई जाती है?
- पुरी (ओडिशा) – सबसे प्रसिद्ध और विशाल रथयात्रा।
- अहमदाबाद (गुजरात) – भारत की तीसरी सबसे बड़ी रथयात्रा।
- महेश (पश्चिम बंगाल) – भारत की दूसरी सबसे पुरानी रथयात्रा (1396 से चलन में)।
- धामराई (बांग्लादेश) – वहाँ की सबसे प्रमुख हिंदू यात्रा।
- मणिपुर – यहां रथयात्रा 1829 से मनाई जा रही है।
रथ यात्रा 2025 की महत्वपूर्ण तिथियाँ और रस्में
📅 तारीख | 🙏 घटना / रस्म | 📝 विवरण |
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30 अप्रैल | अक्षय तृतीया | इसी दिन से रथ बनाने का शुभ कार्य शुरू होता है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ के लिए लकड़ियाँ लाकर निर्माण की शुरुआत होती है। |
11 जून | स्नान पूर्णिमा | भगवानों को 108 कलश पवित्र जल से स्नान कराया जाता है। इस दिन वे ‘गजवेश’ में दर्शनों के लिए आते हैं। |
12-25 जून | अनवसरा काल | स्नान के बाद भगवान 15 दिन के लिए आराम (गोपनीयता) में रहते हैं। मंदिर में दर्शन नहीं होते। |
26 जून | गुंडिचा मरजना व नवयौवन दर्शन | गुंडिचा मंदिर की सफाई होती है और भगवान का “युवा रूप” (नवयौवन) पुनः दर्शनों के लिए आता है। |
27 जून | रथ यात्रा (मुख्य दिन) | भगवानों को रथों पर बिठाकर पुरी की सड़कों पर 3 किमी लंबी यात्रा कराई जाती है। राजा ‘छेरा पहारा’ करता है – स्वर्ण झाड़ू से रथों की सफाई करता है। |
1 जुलाई | हेरा पांचमी | देवी लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को देखने गुंडिचा मंदिर जाती हैं। यह एक playful रस्म है। |
4 जुलाई | संध्या दर्शन | गुंडिचा मंदिर में शाम के दर्शन का विशेष महत्व है, ऐसा माना जाता है कि इससे वर्षों की पूजा का फल मिलता है। |
5 जुलाई | बहुदा यात्रा | भगवानों की वापसी यात्रा जगन्नाथ मंदिर की ओर होती है। रास्ते में ‘मौसी मां मंदिर’ में रुककर ‘पोड़ा पीठा’ ग्रहण करते हैं। |
6 जुलाई | सुनाबेश | भगवानों को स्वर्णाभूषणों से सजाया जाता है। यह दृश्य अत्यंत भव्य और दुर्लभ होता है। |
7 जुलाई | अधर पान | भगवानों को मीठा पेय अर्पित किया जाता है जो दूध, चीनी और मसालों से बनाया जाता है। बाद में मटके तोड़ दिए जाते हैं – समर्पण का प्रतीक। |
8 जुलाई | नीलाद्रि विजय | भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन वापस अपने मुख्य मंदिर (गर्भगृह) में प्रतिष्ठित होते हैं। यही रथ यात्रा का अंतिम दिन है। |
📌 कुछ खास बातें:
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👉 रथ यात्रा सिर्फ एक दिन की नहीं, बल्कि पूरा 2 महीनों का आयोजन है जिसमें कई परंपराएं और रस्में होती हैं।
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👉 हर रस्म का गहरा आध्यात्मिक महत्व होता है – जैसे छेरा पहारा में समता का संदेश, अधर पान में त्याग और सेवा की भावना।
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👉 27 जून 2025 को पुरी में भारी भीड़ होती है, इसलिए होटल और यात्रा की योजना अप्रैल-मई तक बना लेना उचित रहेगा।
ओडिशा की सांस्कृतिक पहचान
पुरी के अलावा, भुवनेश्वर, कटक और कोणार्क जैसे शहर भी ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर को समेटे हुए हैं।
- कोणार्क का सूर्य मंदिर खुद एक रथ के आकार में बना है।
- चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
- ओडिसी नृत्य, पत्ताचित्र कला, और सिल्वर फि़लिग्री शिल्प ओडिशा की पहचान हैं।
रोचक तथ्य
- Juggernaut शब्द की उत्पत्ति रथयात्रा से हुई है। अंग्रेजों ने पुरी में इन विशाल रथों की अजेय शक्ति देख कर यह शब्द गढ़ा, जिसका अर्थ है – ऐसी ताकत जिसे कोई रोक न सके।
- रथ का आकार मंदिर जैसा होता है और इसे हर साल नए सिरे से बनाया जाता है।
- रथयात्रा के दौरान पुरी की सड़कों पर बिछी रेत, यात्रा को और भी चुनौतीपूर्ण बनाती है – लेकिन यही है भक्ति की परीक्षा।
क्यों इसी समय जाना चाहिए?
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🙏 भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा — यह दुनिया की सबसे बड़ी रथ यात्रा होती है।
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🚩 विशेष दर्शन का अवसर — इस दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा मंदिर से बाहर निकलते हैं, जिससे वे सभी जाति-समुदाय के लोगों को दर्शन देते हैं।
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🎉 भव्य आयोजन — सैकड़ों वर्षों से चली आ रही यह परंपरा सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक एकता की मिसाल है।
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📸 फोटोग्राफी और संस्कृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग — रथ, भजन-कीर्तन, लाखों श्रद्धालुओं की भीड़, और पारंपरिक परिधान एक अद्भुत अनुभव बनाते हैं।
यात्रा से जुड़ी सलाह:
🔹 विषय | ✔️ सुझाव |
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बुकिंग | जून की शुरुआत तक ट्रेन/होटल की बुकिंग करा लें क्योंकि भीड़ बहुत होती है। |
ठहरने की जगह | पुरी में धर्मशालाएं, होटल्स और लॉज हर बजट में मिल जाते हैं। |
जलवायु | यह समय मानसून की शुरुआत का होता है, हल्की बारिश संभव है – छाता और रेनकोट ज़रूर रखें। |
सुरक्षा | रथ यात्रा में भारी भीड़ होती है, तो बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें। |
खास दिन | 27 जून: रथ यात्रा आरंभ, 4 जुलाई: बहुदा यात्रा (वापसी), 5 जुलाई: नीलाद्री बिजे (मंदिर वापसी) |
निष्कर्ष
अगर आप 2025 में जगन्नाथ पुरी जाने की सोच रहे हैं, तो 27 जून से 5 जुलाई के बीच की योजना बनाना सबसे उत्तम रहेगा। रथयात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, समानता और संस्कृति की चलती-फिरती मिसाल है। यह वह पर्व है जो हर किसी को जोड़ता है – जाति, धर्म, देश की सीमाओं से परे।
अगर आप कभी जून-जुलाई में ओडिशा जाएं, तो पुरी की रथयात्रा का अनुभव ज़रूर करें। यह आस्था, अद्भुतता और संस्कृति का ऐसा संगम है, ये न सिर्फ धार्मिक यात्रा होगी, बल्कि जीवनभर का एक अविस्मरणीय अनुभव भी बनेगा, जिसे आप कभी नहीं भूल पाएंगे।
🔔 “जहाँ रथ चलते हैं, वहाँ भक्ति चलती है।“
जय जगन्नाथ!
अनुज यादव DainikBaate.com के संस्थापक हैं। वे न्यूज, टेक, ऑटो, हेल्थ और शेयर मार्केट पर सरल हिंदी में विश्वसनीय जानकारी साझा करते हैं।