345 राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण रद्द, चुनाव आयोग की सख्त कार्रवाई –

भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए देशभर में 345 रजिस्टर्ड लेकिन अमान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों (RUPPs) को डीलिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कार्रवाई उन पार्टियों पर की जा रही है जो लंबे समय से कोई चुनाव नहीं लड़ी हैं और जिनका स्थायी कार्यालय भी मौजूद नहीं है


क्यों हटाई जा रही हैं ये पार्टियाँ?

आयोग के अनुसार, भारत में 2800 से अधिक RUPPs पंजीकृत हैं, जिनमें से कई केवल नाम की हैं। ये पार्टियाँ न तो चुनाव में भाग लेती हैं और न ही जरूरी कानूनी औपचारिकताएँ पूरी करती हैं।
इनमें से ज्यादातर पार्टियाँ:

  • 2019 से अब तक लोकसभा, विधानसभा या उपचुनाव में शामिल नहीं हुईं,

  • और इनके पास कोई वैध स्थायी दफ्तर नहीं पाया गया है।

2023 में आयोग ने सभी RUPPs को निर्देश दिए थे कि वे:

  • तीन साल के ऑडिटेड वित्तीय दस्तावेज,

  • पिछले दो चुनावों का खर्च विवरण,

  • और पार्टी पदाधिकारी के हस्ताक्षर वाले दस्तावेज
    जमा करें, लेकिन कई पार्टियों ने यह भी नहीं किया।

अब इन सभी पार्टियों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है, और उनके जवाब के आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।


RUPP और Recognised पार्टी में फर्क क्या है?

RUPP (Registered Unrecognised Political Party) वे पार्टी होती हैं जो चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड तो होती हैं, लेकिन उन्हें न तो कोई मान्यता प्राप्त है और न ही ये चुनाव लड़ती हैं। इन्हें सरकारी प्रसारण, निशान, या फंडिंग की कोई विशेष सुविधा नहीं मिलती, लेकिन फिर भी ये टैक्स छूट जैसी कुछ कानूनी सुविधाओं का लाभ उठाती हैं।

मान्यता प्राप्त पार्टियाँ (Recognised Parties) वे होती हैं जिन्होंने किसी राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम वोट प्रतिशत या सीटें प्राप्त की होती हैं, जिससे उन्हें चुनाव चिह्न, टेलीविज़न टाइम, और अन्य लाभ मिलते हैं।


डीलिस्टिंग के क्या प्रभाव होंगे?

डीलिस्ट हो चुकी पार्टियाँ:

  • ECI की आधिकारिक सूची से हटा दी जाएंगी,

  • चंदे पर मिलने वाली टैक्स छूट और अन्य कानूनी लाभ खो देंगी,

  • और अगर ये दोबारा चुनावी प्रक्रिया में आना चाहें, तो नई पंजीकरण प्रक्रिया से गुजरना होगा

ECI का कहना है कि यह पहला चरण है और आगे और भी निष्क्रिय पार्टियों पर कार्रवाई की जाएगी।


निष्कर्ष

चुनाव आयोग का यह कदम भारतीय लोकतंत्र की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बनाए रखने की दिशा में एक अहम प्रयास है। इससे फर्जी या निष्क्रिय पार्टियों की सफाई होगी और केवल वही पार्टियाँ सक्रिय रहेंगी जो वास्तव में जनहित और लोकतंत्र के प्रति जवाबदेह हैं।

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