बिहार विधानसभा में ‘बाप’ शब्द पर बवाल!

नीतीश-तेजस्वी की बहस के बीच स्पीकर नाराज़ होकर सदन से बाहर चले गए

पटना, 23 जुलाई 2025:
बिहार विधानसभा में बुधवार को उस वक्त जमकर हंगामा हुआ, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच तीखी बहस छिड़ गई। बहस का केंद्र बना वोटर लिस्ट रिवीजन, लेकिन माहौल तब और गरम हो गया जब ‘बाप’ शब्द का उपयोग हुआ और स्पीकर नंद किशोर यादव नाराज़ होकर सदन से बाहर चले गए।


🔥 विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

दरअसल, वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर तेजस्वी यादव ने सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि 11 दस्तावेज़ गरीब लोग कहां से लाएंगे और क्यों आधार व राशन कार्ड को इससे जोड़ा नहीं जा रहा। साथ ही उन्होंने कहा कि “बिहार में बांग्लादेशी, नेपाली और म्यांमार के लोगों के आने” जैसे बयान बेहद आपत्तिजनक हैं।

इस पर सीएम नीतीश कुमार भड़क गए और तेजस्वी पर तंज कसते हुए बोले:

“तुम बच्चा हो, तुम्हें क्या पता। जब तुम्हारे माता-पिता मुख्यमंत्री थे, तब की स्थिति जानते हो?”


👊 ‘बाप’ शब्द पर जमकर हंगामा

तेजस्वी और नीतीश के बीच बहस चल ही रही थी कि RJD विधायक भाई वीरेंद्र ने सीट से ‘बाप’ शब्द बोल दिया। यह सुनकर सदन में हंगामा शुरू हो गया। स्पीकर ने तुरंत टोका और कहा कि भाई वीरेंद्र को माफ़ी मांगनी चाहिए। सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए।

स्पीकर नंद किशोर यादव ने तेजस्वी से कहा कि वह अपने विधायक को माफ़ी मांगने को कहें। लेकिन जब स्थिति नहीं सुधरी, तो स्पीकर नाराज़ होकर सदन से बाहर चले गए।


🗣️ नीतीश ने क्यों कहा “बच्चा हो तुम”?

नीतीश कुमार ने तेजस्वी पर तीखे शब्दों में हमला किया:

“जब तुम्हारी उम्र कम थी तो तुम्हारे माता-पिता मुख्यमंत्री रहे। हमने हालात बदले, महिलाएं शाम के बाद बाहर नहीं निकलती थीं, अब निकलती हैं। तुम बच्चा हो, क्या जानो?”

नीतीश ने यह भी जोड़ा कि:

“जब तुम हमारे साथ थे, तब हमारी तारीफ करते थे। अब क्या हो गया?”


🧾 तेजस्वी के सवाल और आरोप

तेजस्वी यादव का कहना था:

  • SIR प्रक्रिया में 11 डॉक्यूमेंट्स मांगना गरीबों के साथ अन्याय है।

  • बिहार में 3 करोड़ श्रमिक और साढ़े 4 करोड़ प्रवासी रहते हैं, वे फॉर्म कैसे भरेंगे?

  • चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि अब तक कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई।

  • पिछली बार जिन लोगों ने वोट डाला था, क्या वे फर्जी थे? अगर हां, तो क्या नीतीश कुमार फर्जी तरीके से जीते?


🏛️ सियासी असर और आगामी चुनाव

बिहार में चुनाव करीब हैं और विधानसभा की यह गरमागरम बहस यह संकेत दे रही है कि सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव अब और बढ़ेगा। एक ओर जहां नीतीश अपनी सरकार के काम गिना रहे हैं, वहीं तेजस्वी जनता से जुड़े मुद्दों को उठा रहे हैं।


📢 निष्कर्ष

बिहार विधानसभा की यह बहस सिर्फ “बाप” शब्द तक सीमित नहीं रही। यह लड़ाई है सत्ता बनाम विपक्ष, अनुभव बनाम नई सोच, और सबसे महत्वपूर्ण – जनता के वोटिंग अधिकारों को लेकर ईमानदारी और पारदर्शिता की।

आने वाले दिनों में देखना होगा कि क्या स्पीकर इस मामले में कार्रवाई करते हैं, क्या भाई वीरेंद्र माफ़ी मांगते हैं, और क्या चुनाव आयोग इस मुद्दे पर कोई सफाई देता है।

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