Inspiring Story: 10वीं में फेल होकर भी DSP बने अभिषेक चौबे, जोश और जुनून की मिसाल

जीवन में असफलता अक्सर हमें तोड़ देती है। कई बार लगता है कि अब आगे कोई रास्ता नहीं बचा, सब खत्म हो गया। लेकिन असली जीत तो वही है जब इंसान हार मानने के बजाय और मजबूती से उठ खड़ा हो। गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश) के अभिषेक चौबे की कहानी इसी हौसले और जुनून की मिसाल है। कभी 10वीं की परीक्षा में फेल हुए अभिषेक आज बिहार पुलिस में डिप्टी एसपी (DSP) हैं।

असफलता से शुरुआत, हौसले से नई उड़ान

अभिषेक चौबे की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया जब 10वीं बोर्ड की परीक्षा में वे फेल हो गए। उस समय लोग उन्हें हार मान लेने की सलाह देने लगे। लेकिन अभिषेक ने इस असफलता को अपनी ताकत बना लिया। उन्होंने तय किया कि यह उनकी मंजिल का अंत नहीं बल्कि नई शुरुआत होगी।

परीक्षा पास कर बदल दिया जीवन

साल 2022 में अभिषेक ने लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और अंकेक्षण अधिकारी (Audit Officer) बने। यह उनके जीवन का टर्निंग प्वॉइंट था। इस दौरान उन्होंने समाज कल्याण विभाग के सिविल सेवा कोचिंग प्रोग्राम में मुख्य फैकल्टी की भूमिका निभाई। यहां उन्होंने न केवल युवाओं को पढ़ाया बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी जगाया। धीरे-धीरे वे शिक्षक के साथ-साथ कई युवाओं के लिए प्रेरक भी बन गए।

डिप्टी एसपी बनने तक का सफर

अक्टूबर 2023 में उनकी मेहनत रंग लाई और वे बिहार पुलिस सेवा में डिप्टी एसपी बने। उन्हें मुंगेर जिले में पोस्टिंग मिली। बिहार पुलिस अकादमी में उन्होंने साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक साइंस, ट्रैफिक प्रबंधन और नए आपराधिक कानूनों की गहन ट्रेनिंग ली। इतना ही नहीं, तेलंगाना के ग्रेहाउंड्स ट्रेनिंग सेंटर में नक्सल विरोधी अभियानों की भी कठिन ट्रेनिंग हासिल की। इस तरह वे हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हो गए।

समाजसेवा में भी आगे

अभिषेक चौबे की पहचान सिर्फ वर्दी तक सीमित नहीं है। वे समाजसेवा में भी हमेशा आगे रहते हैं। अब तक वे 30 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं। कोरोना महामारी के समय उन्होंने जरूरतमंदों तक राशन, दवाइयां और जरूरी मदद पहुंचाई। डिप्टी एसपी होने के बावजूद वे खुद को सबसे पहले इंसान मानते हैं और समाज की सेवा को अपना असली धर्म समझते हैं।

युवाओं के लिए संदेश

अभिषेक चौबे की कहानी यह बताती है कि असफलता कोई अंत नहीं बल्कि नए रास्ते खोलने का मौका होती है। अगर मन में सच्चा जुनून और मेहनत का हौसला हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। 10वीं में फेल होने से लेकर डिप्टी एसपी बनने तक का उनका सफर युवाओं के लिए बड़ी प्रेरणा है।

वे यही संदेश देते हैं –
“हार मानना आसान है, लेकिन असली जीत वही है जो हारकर भी हिम्मत से आगे बढ़े।”

 

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