“हर घर जल” से “हर खेत जल” – एक नई क्रांति, राज्यों से मांगे गए प्रस्ताव    

 

हर घर जल हर खेत जल- केंद्र सरकार ने हर खेत तक पानी पहुंचाने की योजना शुरू की है। जल्द ही 10 राज्यों में पाइपलाइन से सिंचाई के पायलट प्रोजेक्ट लागू होंगे।

1.“हर घर जल” से “हर खेत जल” की ओर

  • पहले केंद्र सरकार का जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) शुरू हुआ था, जिसका मकसद था हर ग्रामीण घर को पेयजल पहुंचाना। आज तक इसके तहत करोड़ों ग्रामीण घरों में टॅप कनेक्शन उपलब्ध हो चुका है

  • अब इसी सोच का विस्तार हो रहा है, और लक्षित बन रहा है “हर खेत को पानी” — कृषि की मूलभूत आवश्यकता।

2. योजना का उद्देश्य और जरूरत

  • कृषि में मौसम की अनिश्चितता और जल स्रोतों के अवैध दोहन ने खेती को अस्थिर कर दिया है। यह योजना किसानों को पाइपलाइन के ज़रिए खेत के दरवाज़े तक पानी पहुंचाने की सोच रखती है

  • इससे न सिर्फ पानी की बर्बादी रुकती है, बल्कि सिंचाई पर किसानों का खर्च भी घटेगा, जिससे उत्पादन लागत में कमी आएगी।

3. तकनीकी विशेषताएं

  • जल शक्ति मंत्रालय इसके लिए स्मार्ट पाइपलाइन सिस्टम पर काम कर रहा है, जिसमें पानी की मात्रा, दबाव और रिसाव पर नज़र रखने वाले सेंसर लगे होंगे

  • वर्ल्ड बैंक व अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ तकनीकी और वित्तीय सहयोग प्रदान करेंगी, जिससे परियोजना की दक्षता सुनिश्चित होगी

4. पायलट में शामिल राज्य

  • इस योजना को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में पायलट रूप में लागू किया गया है, जहाँ किसान बेहद सकारात्मक हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें अब नहर या मैन्युअल पंपिंग का झंझट नहीं रहेगा

  • योजना पूरी तरह निशुल्क नहीं है, लेकिन सब्सिडी किसानों को भारी राहत देगी।

5. चैलेंज और लक्ष्य समयसीमा

  • सरकार ने 2030 तक पूरे देश में इस योजना को स्केल‑अप करने की योजना बनाई है, लेकिन पहाड़ी और दूरस्थ इलाकों में पाइपलाइन बिछाने की तकनीकी चुनौतियाँ हैं

  • इन समस्याओं से निपटने के लिए विशेष तकनीकी टीम और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था की जा रही है।

6. इसका महत्व – किसान से राष्ट्र तक

  • पारंपरिक सिंचाई से बचने वाला हर प्रत्येक बूंद कृषि की गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायक होगी और भूजल स्तर को भी बचाएगी।

  • उत्पादन लागत कम होने से किसान की आमदनी बढ़ेगी, जिससे “आत्मनिर्भर भारत”, “दोगुनी आय” और खाद्य-सुरक्षा जैसी राष्ट्रीय योजनाओं का मार्ग आसान होगा।


निष्कर्ष

यह योजना सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार नहीं बल्कि भारत में खेती की सोच में बदलाव लाने वाला कदम है। तकनीकी सहयोग, सब्सिडी और समयबद्ध क्रियान्वयन से यह “पानी के हर कतरे को प्रभावी उपयोग” की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। यदि सफल हो जाती है, तो आने वाले दशक में यह छोटे और सीमांत किसानों की बदलती दुनिया में एक नई लकीर खींच देगी।

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