राजस्थान के सीकर में एक दुखद घटना घटी, जहाँ आदर्श विद्या मंदिर स्कूल की 9 वर्षीय बच्ची की स्कूल में टिफिन खोलते ही मृत्यु गई असल वजह जान के आप भी हैरान हो जाएंगे

 

घटना राजस्थान के सीकर जिले के दातारामगढ़ कस्बे  की है जहां 9 साल की प्राची कुमावत की अचानक मौत होने से सब अचंभित हैं वह कक्षा चार की होना छात्रा थी जो मंगलवार को स्वस्थ सकुशल अपने स्कूल पहुंची  और लंच ब्रेक में टिफिन खोलते समय अचानक बेहोश होकर गिर गई शिक्षकों द्वारा तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया मेडिकल जाँच में पता चला कि उसे कार्डियक अरेस्ट हुआ था। उसे बचाया न जा सका, स्कूल शिक्षको के अनुसार प्राची चौथी कक्षा की होनहार छात्रा थी, जो सुबह पूरी तरह स्वस्थ स्कूल पहुँची थी।

विशेषज्ञों ने बताया कि आजकल बच्चों में हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं, जिसके पीछे खराब जीवनशैली, मोटापा, तनाव और अनहेल्दी खानपान जैसे कारण हो सकते हैं। उन्होंने सलाह दी कि बच्चों में दिल की बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज न करें और नियमित जांच कराएँ।

 

बच्चों में बढ़ते हार्ट अटैक के खतरे की चेतावनी

यह घटना कोई पहली नहीं है—हाल के वर्षों में भारत में बच्चों और युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। कोविड-19 के बाद यह समस्या और भी गंभीर हो गई है। आँकड़े बताते हैं कि:

  • 2022 में, 114 बच्चों की हार्ट अटैक से मौत हुई। जिनकी उम्र  14 साल से कम उम्र के
  • 14 से 18 सालके 175 किशोर भी चपेट में आए।
  • 30 से 45 सालकी उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के मामले 10,000 तक पहुँच गए।

प्रमुख कारण बच्चों में :-

 हार्ट अटैक के जन्मजात हृदय रोग – कुछ बच्चों में जन्म से ही दिल की समस्याएँ होती हैं, जो बाद में गंभीर रूप ले सकती हैं।

  1. कोविड-19 का प्रभाव– शोध बताते हैं कि कोविड से ठीक हुए बच्चों में मायोकार्डिटिस (दिल की मांसपेशियों में सूजन) का खतरा बढ़ जाता है।
  2. खराब लाइफस्टाइलऔर  तनाव – जंक फूड, मोटापा, शारीरिक गतिविधि की कमी और नींद की कमी बच्चों के दिल के लिए खतरनाक हैं। पढ़ाई का दबाव, स्क्रीन टाइम और मानसिक तनाव भी हृदय रोगों को बढ़ावा दे रहे हैं।
  3. क्या उपाय सावधानिया रखे तनाव –बचाव के लिए ?
  • स्वस्थ आहार– जंक फूड से परहेज करें, घर का बना पौष्टिक भोजन दें।
  • फिजिकल एक्टिविटी– रोजाना 30 मिनट की एक्सरसाइज या खेलकूद जरूरी है।
  • नियमित हेल्थ चेकअप– साल में कम से कम एक बार बच्चों का ईसीजी या 2D इको टेस्ट करवाएँ।
  • तनाव प्रबंधन– बच्चों से बात करें, उनकी मानसिक सेहत का ध्यान रखें।
  • स्कूलों में हेल्थ कैंप– सरकार और स्कूल प्रशासन को बच्चों के लिए नियमित मेडिकल चेकअप की व्यवस्था करनी चाहिए।
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कुल मिला कर जागरूकता ही बचाव है

प्राची की मृत्यु  एक डरावनी चेतावनी है कि अब हार्ट अटैक कोई  उम्र नहीं देखता। अगर समय जीवन शैली में  बदलाव और  सतर्क नहीं हुए, तो ऐसी घटनाएँ बढ़ सकती हैं। माता-पिता, स्कूल और सरकार को मिलकर बच्चों की सेहत पर ध्यान देना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

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(यह ब्लॉग सामान्य जानकारी पर आधारित है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर से सलाह लें।)

 

 

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