आखिर यह टैरिफ क्या होता है?

पेन की कहानी से समझे अमेरिका-भारत की टैरिफ लड़ाई
आजकल आपने खबरों में एक शब्द बार-बार सुना होगा — “टैरिफ” (Tariff)।
कभी अमेरिका भारत पर टैरिफ लगाता है, कभी भारत जवाब में अमेरिका पर।
टीवी डिबेट से लेकर बिज़नेस रिपोर्ट्स तक, हर जगह “टैरिफ वॉर” की चर्चा होती है।

लेकिन सवाल ये है —

  • टैरिफ आखिर होता क्या है?

  • क्यों लगाए जाते हैं टैरिफ?

  • और ये वॉर जैसी स्थिति क्यों बन जाती है?

 

चलिए, इसे एक आसान सी कहानी से समझते हैं — एक पेन की कहानी से।

✏️ सोचिए आपके पास दो पेन हैं…
पहला पेन भारत में बना है — ₹10 का

दूसरा पेन चाइना से इम्पोर्ट किया गया है — ₹6 का

दोनों पेन दिखने में एक जैसे हैं, लेकिन चाइना वाला पेन सस्ता है। क्यों?

क्योंकि:

✔ वहाँ लेबर सस्ती है
✔ सरकार से सब्सिडी मिलती है
✔ टैक्स में छूट है
✔ जमीन और बिजली भी सस्ती

तो अब क्या होता है?

चाइना वाला पेन भारतीय मार्केट में धड़ल्ले से बिकता है, जबकि इंडिया में बना पेन स्टॉक में रह जाता है। इससे:

  •  इंडियन कंपनियाँ नुकसान में चली जाती हैं
  • फैक्ट्रियाँ बंद होने लगती हैं
  •  मज़दूरों की नौकरियाँ खतरे में आ जाती हैं

 

अब भारत सरकार क्या करती है?

सरकार कहती है — “नहीं! ये तो हमारे देश की इकॉनमी के लिए खतरनाक है।”

इसलिए भारत सरकार चाइना वाले पेन पर एक Extra Tax लगा देती है — मान लीजिए ₹4 का।

अब वह ₹6 वाला पेन भारत में ₹10 में बिकेगा।

यानि अब दोनों पेन बराबरी पर हैं।

इसका फायदा —
भारतीय पेन को फिर से मार्केट में मुकाबले का मौका मिल जाता है।

 

और यही Extra Tax क्या कहलाता है?

इसे ही कहते हैं — “टैरिफ” (Tariff)
यानि:

“विदेश से आने वाले सामान पर लगाया गया टैक्स”

सरल भाषा में:

“दूसरे देश से जो चीज़ आती है, उस पर जो Extra Paisa सरकार लेती है, वो टैरिफ होता है।

 

टैरिफ लगाने का मकसद क्या होता है?

उद्देश्य मतलब
✅ घरेलू उद्योग को बचाना अपने देश की फैक्ट्रियों को नुकसान से बचाना
✅ नौकरियाँ बचाना सस्ते इम्पोर्ट की वजह से जो नौकरी खतरे में हैं
✅ Fair Competition विदेश से आने वाले “बहुत सस्ते” सामान को रोकना

 

टैरिफ से जुड़ा दूसरा पहलू — “टैरिफ वॉर”

जैसे ही भारत चाइना के पेन पर टैरिफ लगाता है —
चाइना भी जवाब देता है।
वो भी भारत के किसी प्रोडक्ट पर टैरिफ लगा देता है —
इसे कहते हैं 👉 Retaliatory Tariff (जवाबी टैरिफ)

एक तरह का “आर्थिक पलटवार”

इसी तरह जब अमेरिका भारत से स्टील मंगवाता है और उस पर टैरिफ लगा देता है —
तो भारत भी अमेरिका से आने वाले बादाम, सेब, बाइक, दालों पर टैक्स बढ़ा देता है।

और यही बन जाता है — Tariff War

एक आर्थिक Tug of War जो कभी खत्म नहीं होती!

🇺🇸 अमेरिका-भारत टैरिफ विवाद: क्यों लगा टैरिफ?
अमेरिका कहता है:
“भारत का स्टील बहुत सस्ता है, जिससे हमारी कंपनियाँ बंद हो रही हैं”

इसलिए अमेरिका स्टील, एल्यूमिनियम, कपड़े, ज्वैलरी, फार्मा आदि पर टैरिफ लगाता है।

भारत क्या करता है?

भारत कहता है — “अगर आप टैरिफ लगाओगे, तो हम भी अमेरिका से आने वाले सामान पर टैक्स बढ़ाएँगे”

India ने बादाम, सेब, दालें, बाइक आदि पर जवाबी टैरिफ (Retaliatory Tariff) लगा दिया।

 

टैरिफ का नुकसान किसे होता है?

भारत एक्सपोर्ट कम हो जाता है, कंपनियाँ घाटे में जाती हैं
अमेरिका वहाँ चीजें महँगी हो जाती हैं, ग्राहक परेशान होते हैं
दोनों व्यापार संबंध खराब होते हैं

निष्कर्ष 
टैरिफ क्या है? विदेश से आने वाले सामान पर Extra Tax
क्यों लगाया जाता है? अपने देश की इकॉनमी और कंपनियों को बचाने के लिए
नुकसान क्या होता है? व्यापारिक तनाव, एक्सपोर्ट में गिरावट, कीमतों में वृद्धि
आजकल चर्चा क्यों? क्योंकि अमेरिका, चीन, भारत जैसे देशों में टैरिफ वॉर चल रही है

याद रखिए:
टैरिफ सिर्फ एक टैक्स नहीं है, ये एक रणनीतिक हथियार है।
जिससे देश अपने उद्योगों को बचाते हैं, लेकिन इसे ज़्यादा खींचने से पूरी दुनिया की इकॉनमी भी हिल सकती है।

 

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